हे पान प्रमाणित केलेले आहे.
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चिकित्सेमध्ये त्रिदोष विज्ञान | ... | रसगत ज्वराची लक्षणे | ...१४४ |
कितीमहत्वाचे आहे | १२५ | तीनमळ | ...१४६ |
दोषांच्या विकृतीची सर्वमान्य | ... | थोडे स्पष्टीकरण | ...१४७ |
कारणे | १३० | त्रिदोषांचा क्रम कोणता | ...१५५ |
वातादिंची वाढ, प्रकोप आणि | ... | दोष तीन की चार ! | ...१५६ |
प्रशम यांचे स्वाभाविक काळ | ...१३१ | त्रिदोषासंबंधी गैर समज | ...१५३ |
दोषांचे वर्धक वशामकरस | ..." | त्रिदोषांचा निदाना विषयी उपयोग | ...१५१ |
कोणते पदार्थ गुणचय प्रकोप | ... | रोग म्हणजे काय? | ...१५९ |
प्रशम करतात | ...१३२ | ज्वर | ...१६७ |
वातादींची वाढींची लक्षणे | ..." | अतिसार | ...१७७ |
दोषांच्या क्षीणतेची लक्षणे | ..." | उदर | ...१८० |
कुपितावस्थेतील विकार | ..." | त्रिदोषांचा चिकित्सेतील उपयोग | ...१८४ |
वाताती वरील शामकउपाय | ...१३३ | रोगनाशक सामर्थ्य | ...१९१ |
वृद्धि, क्षय व साम्य याचें | ..." | निरोगी अवस्थेतील वर्णन | ...१९६ |
सामान्य लक्षण | विकृतावस्थेतील | ..." | |
दोष व देश | ..." | गुणाचे वर्णन | ...१९७ |
दोष व प्रकृति | ...१३४ | वात, पित्त, कफ याविषयीं खुलासा व | |
दोष व अग्नि किवा पचन शक्ति | ..." | निष्कर्ष | ...१९८ |
दोष आणि कोठा | ...१३५ | जीवनव्यापाराविषयी तत्वे | ...१९९ |
ग्रंथोक्त वाक्ये | ..." | दोषविज्ञानांतील क्रम | ...२०० |
धातु आणि मळ | ...१४२ |