पीडीएफ सुरेशभट इन च्या सौजन्याने छन्दोरचना ११४ ४ रथोद्धता-वर्ग प्रियंवदा-कनकप्रभा [-- س ---ں | - ن ں ں ہے۔ ں --- ] RingdT & کY [--ں س-ں I -- س ن ں ہے۔ س ن ں ] ic{G.Tہk fکلا [- ܝ - ܝ | ܚ ܝ ܚ - ܟ ܝ ܚ ] 7 figܟ݂3T * ܕ݁ܶܐ [-۔ بس۔ بI ----ں ں ں ہ- نی ---۔] f&kiT& ک^Y [-- س -- س --ں سب - ب --- بں] abs{b{R{T چاہY [- ف --- ب - l --- ب - بl-۔ یہ بہ یہ -- س - بں ] بھیgچ&Y éqT ४१ रथोद्धता (पि ६/२२), अपरान्तिका (हे). *शै नरौलगुयुता रथोद्धता” (भुववृ १०३/३१). नागवर्मा सहाव्या अक्षरानन्तर यति साङ्गतो; तसा घेतल्यास वृत्त पद्मावर्तनी होऔील. ४२ प्रियंवदा (हे २/१७५, कद ४/४८), मक्तकोकिल (हे), निरुपमा (ना १३१)**भुवि भवेन्नभजरैः प्रियंवदा' (के ३/५७).४३न्भौ लाँ ग् अभीष्ट. ४४ ललिता (हे २/१७६); *धरैरभाणि ललिता तर्भौ जरौ”(के ३/५९). ४५ कनकप्रभा स्र्जी स्जौ गू(पैि ८/७), जया, सुमङ्गली (हे), मनोवती (भ, हे ), नन्दिनी ( स्वछ ३, हे २/२११ ), [ अर्थात् ' सुनन्दिनीति शम्भौ' (गछ) हैं चूक असावें ], मञ्जुभाषिणी (के ३/७४), प्रबोधिता ( गछ २/१०२), ४६'स्जौ स्जौ त्रौ बुद्बुदं” (हे २/३२१). [। ७ ५ - ७ - ५ V V -r-- Vu mis VW ।-- ७ - ५ । - ] अशी मोडणी घेतल्यास हें वृत्त पद्मावर्तनी होतें. ५ खागता-वर्ग लङ्का-कुटजा-प्रमिताक्षरा-यूथिका-द्रुतविलम्बित ४७ स्वागत ]-- ں ں !--ب ں ں --ں------[ ४८ दुतपदा ] س- نی --- ں ں نہ --- س ن ں --[ ४९ अम्बुज ]- ۔ ں ں -- س ن ں -- س ن ں--[ [- ܟ ܝ ܝ ܝ | - ܝ ܚ ܝ - ܝ -] ܕ݁ܶܟ݂ܗܲܪ̄ ܘܪ
पान:छन्दोरचना.djvu/141
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