पीडीएफ सुरेशभट इन च्या सौजन्याने छन्दोरचना १६६ चम्पकमाला (ना १७९). ५५० “सुरनर्तकी रनरना रनरा विरती रसद्रूशास्त्र गुणे: ” (ममच १९), मागे तरड्ग ५२७ पहा. ५५१ मत्तविलासिनी, ** भैौ भभभाश्च भरौ यदि कीर्तय पुत्रक मत्तविला सिनीम्” (केनिआ ६७). ५५२ ** रः सौ तो जैौ ग अर्जितं जैः” (हे २/- ३३१), खचर प्लुता (ना १७४). ५५३ *नो भौमः सौ ल्गी मुद्रा टॅ:” (हे २/३३८), झुज्ज्वल (हे). ५५४ *भीरसल्गा नन्दकं” (हे २/३४२), नगरञ्जित, वनमञ्जरी, वनवल्लरी (ना १७८ ). ५५५ **नजीभ्रा वनमञ्जरी' हे २/३५२), मागे १३२ पहा. ३२ ब्रह्माणी-वर्ग ५५६ “ब्रह्माणी” [-। विद्युन्माला ! गान्धर्वी] ५५७ शम्भु[७ ७ ॥ --- ७ ७ ॥ --- ७ ७ ! गान्धर्वी] ५५८ शङ्ख [-। मदिरा ] ५५९ दुर्मिल [ ७ ७ । मदिरा ] ५६० सुन्दरिका [७ ७ । कुङ्मलदन्ती । चित्रगति ] ५६१ ‘रघुवीर? [--ں ں -- [ ܚܙ ܚ ܢ ܢ ܚ ܢܝ ܚ ! ܚ ܢ ܢ ܚ ܢܝ ܚ - 1 ܢ ܚ ܢܝ ܚ ܟ ܚ - ܐ ܢ ܟ ] -- ں ں ں ں ! ہم مح { (م مح { ܚ ܢܝ ܝ ܚ ܟ ܚ - | - ] ܐܼܗR I ؟' ५६३ 'रघुरमण' [ ० ७ । अचलधृति। त्वरितगति ] ५६४ दीपाचि [- । - - ० ० - I जलोद्धतगति । ७ - ५ - ] ५६५ चित्रक [- । जलोद्धतगति । कटाक्षललिता ] iq სwსგ& मुगा 'ब्रम्हाणी शैः,”ब्रम्हरूपक (प्रापै २/१७४).५५७ स्तैी य्र्मो मौ गु दुर्मिल (प्रापै २/२०८),घोष्टक(ममच १९),*सगगैरपि वृत्तवरं वसुभिः किल दुर्मिल मुक्तमिदं कविभिः” (गछ २/२२२). ५६० सुन्दरिका (प्रापै २/ २०६), “अिह सुन्दरिका पिङ्गलमुनिनोक्ता सद्वायतो भसता ज्लभगाः' (गछ
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