या पानाचे मुद्रितशोधन झालेले नाही

१७७ फुटकर छतधारी । बैठ सु दाच्छन भूषन दच्छ खुमान सबे हिन्दुवान उजारी । दिल्ली ते गाजत आवत ताजिये पीटत आप को पंज हजारी ॥ २५ ॥ (२५) उजारी-प्रकाश केला. ताजिये-डोले, ( येथे सुभेदार ता०), यो पहिले उमराव लरे रन जेर किये जसवन्त अजूबा । साइतखाँ अरु दाउदखाँ पुनि हारि दिलेर महम्मद डूबा ॥ भूषन देखे बहादुरख फिर होय महाबतखाँ अति ऊबा । सूखत जानि शिवाजी के तेज सो पान से फेरत नौरंग सूबा ॥ २६ ।।। (२६) ऊबान्त्रस्त. से=प्रमाणे. सों-ने. छप्पय तहवरखान हराय ऍड़ अनवर की जंग हरि । सुतरुदीन बहलोल गये अबदुल समद्द मुरि ॥ महमद को मद मेटि शेर अफगनहि जेर किये ।। अति प्रचंड भुजदंड बलन काहिने दंड दिय ।। भूषन बँदेल छत्रसाल डर, रंग तज्यो अवरंग लाज। झुक्के निशाने तजि समर सो मक्के तकि तुरक भाज॥२७॥ (२७) ड=ऐट. मुरिनुकून. मेटि=नष्ट करून. काहि नै–कोणाला नाहीं ? तक्वि–पर्यंत. तुरक=तु. भजि-पळाले. सैयद मुगल पठान सेख चन्द्रावत भच्छन । सोम सूर है बस राव राणा रन रच्छन ॥ । इमि भूषन अवरंग और एदिल दल जंगी । कुल करनाटक कोट भोट कुल हबस फिरंगी । शि. भू....१२