या पानाचे मुद्रितशोधन झालेले आहे
अनुक्रमणिका.
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प्रकरण. | मुख्यविषय व पोटविषय. | पृष्ठ. |
१ | सजीव व निर्जीव वस्तूंची मीमांसा..... ... | १ |
२ | कल्पना-मोहरी, आकाशवेल, फर्न, भूछत्रे, शैवालतंतु, किण्व. | ९ |
३ | जनन-वाल अथवा पावटा, एरंडी, मका, खजूर..... | १३ |
४ | मूळ —मूलावरण, मुळांचे प्रकार, आगंतुक मुळे, मांसल मुळे, | |
हवेंत लोंबणारी मुळे, परान्नभक्षक मुळे..... ... ... ... | १७ | |
५ | स्कंध अगर खोड–मुळे व स्कंध, आवरणे, फांद्यांची उत्पत्ति, | |
फांदीची व्यवस्था, एकपाद, आगंतुक कळ्या, बलाबलता, धांवती | ||
फांदी, मूळकोष्ठ, ग्रंथीकोष्ठ, सकंदकोष्ठ, कंद, पर्णकोष्ठ, रसकस | ||
कंटककोष्ठ, सूत्रकोष्ठ, पाणवनस्पती..... ... ... ... | २३ | |
६ | पर्ण-उत्पात, महत्त्व, कळी, स्वरूप, भाग, पानाचे बूड, | |
उपपर्णे, देठ, पान अगर पत्र, शिरा, आकार, कडा, अग्र, | ||
पृष्ठभाग, वर्ण, भेद, जोडीदार संयुक्त पाने, संयुक्त हस्तसादृश | ||
पाने, शिरांची मांडणी, जाळीदार शिरांच्या दोन मुख्य जाति, | ||
पानांचा खाडावरील उगम, खोडावरील पानांची मांडणी, | ||
मांडणीचे मुख्य प्रकार, पानांचीं अन्य स्वरूपें .... ... | ३५ | |
७ | पेशी, सजीवतत्व व केंद्र –पेशी, सजीवतत्त्व, पेशीभित्तिका, | |
केंद्र, रंजितशरीरें, चलनादि धर्म, पेशीद्रव्ये, केंद्र, पेशीविभाग, | ||
कळी सोडणे. .... ... ... ... | ४७ | |
८ | पेशीजाल -मृदुसमपरिमाण पेशी, लंबवर्धक पेशी, वाहिनी | |
व पेशीजाल, पेशीजालांतील पोकळ्या वाहिनीमय जाल, दुग्ध | ||
रसवाहिनींजाल, पिण्डजाल, वाढता कोंब, पेशीरचना, संरक्षक | ||
पेशीजालरचना, साल, वाहिनीमय ग्रंथरचना .... ... | ५९ | |
९ | अंतर रचना -मुळ्या, खोड, पाने .... ... ... | ७४ |