माझ्या शेतकरी भावांनो आणि मायबहिणींनो.../लेखानुक्रम
लेखानुक्रम
१ | भक्ती, युक्ती, शक्ती आणि तीन वर्षांत मुक्ती | ०७ |
२ | सौराज्य मिळवायचं औंदा | २५ |
३ | बळिराजाचा पुनरुत्थानाचा कार्यक्रम | ३१ |
४ | अंगाराने कार्य केले आता ज्योत हवी | ३८ |
५ | आता हवी नवी हत्यारे आणि नवी व्यूहरचना | ४५ |
६ | नव्या लढाईची घोषणा | ६४ |
७ | दुसऱ्या गणराज्याचा अर्थात, बळिराज्याचा ओनामा | ६९ |
८ | शेतकरी संघटनेच्या विचाराची वाटचाल | |
कांद्याच्या भावापासून बळिराज्यापर्यंत | ८५ | |
९ | बळिराज्यातील कृतिकार्यक्रम | ९१ |
१० | आमचे आम्ही मालक | ९८ |
११ | युग आहे उद्योजकवादी संस्कृतीचे | १०६ |
१२ | चला, दंडबेड्या तोडून टाकू | १२५ |
१३ | नुसता नवा जोम नव्हे, नवी रणनीती हवी | १३३ |
१४ | राज्य आले ठग पिंढाऱ्यांचे | १४२ |
१५ | वाघाचा जन्म वाघासारखं जगा | १५० |
१६ | सांगली-मिरज अधिवेशनाची विषयपत्रिका | १५७ |
१७ | गुलामगिरीकडे आता पुन्हा जाणे नाही | १६५ |
१८ | सरकारला वगळून शेती हाच पर्याय | १८१ |
१९ | नांगर मोडून तलवार घ्या हाती | १९१ |
२० | चला, हत्यारे परजून घेऊ या | २०२ |
२१ | रुप्याचा दिवस म्या आनंदे पाहिला | २१० |
२२ | शेतकऱ्यांचा कर्जबाजारीपणा - | |
नेहरू आणि त्यांच्या वंशावळीचे पाप | २२५ | |
२३ | रणनीती एकारलेली नव्हे, चौफेर हवी | २३९ |
२४ | स्वातंत्र्यासाठी 'पोशिंद्यां'चा संग्राम | २४८ |
२५ | शेतकरी संघटना लोकांची गर्दी नव्हे, विचार आहे | २५८ |
२६ | शेतकरी आंदोलनाची आगामी दिशा | २६७ |
२७ | निमंत्रण औरंगाबाद अधिवेशनाचे | २८४ |
२८ | औरंगाबाद ज्ञानयज्ञायी फलनिष्पत्ती | २९८ |
२९ | रणावीण स्वातंत्र्य कोणा मिळेना | ३१० |
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